Thursday, January 17, 2019

रीवा एक परिचय



   

मध्य प्रदेश स्थित रीवा कभी ब्रिटिश काल के दौरान एक बड़ी रियासत हुआ करता था, और आज राज्य के सबसे प्रमुख शहरों में गिना जाता है। यह एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक विरासत जो अपने प्राचीन किले-भवनों के साथ प्राकृतिक खजानों(वन, नदी-झरने, हरा-भरा परिदृश्य) के लिए काफी प्रसिद्ध है। मध्य प्रदेश के बाकी पर्यटन गंतव्यों की तरह यह भी सैलानियों के मध्य काफी ज्यादा लोकप्रिय है।


अगर आप कुदरती खूबसूरती के साथ ऐतिहासिक विरासतों को देखने में दिलचस्पी रखते हैं, तो आपको यहां एकबार जरूर आना चाहिए। हमारे साथ जानिए पर्यटन के लिहाज से रीवा आपके लिए कितना खास है, जानिए यहां के चुनिंदा सबसे शानदार स्थानों के बारे में। 
रानी तालाब

रीवा भ्रमण की शुरूआत आप यहां के रानी तालाब से कर सकते हैं, दरअसल तालाब के रूप में प्रसिद्ध यह वास्तव में एक प्राचीन कुंआ है। रानी तालाब राज्य के सबसे पुराने कुओं में से एक है, इसलिए पर्यटक इसे देखना ज्यादा पसंद करते हैं। यह तालाब सिर्फ प्राचीन होने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह एक पवित्र जलाशय भी है क्योंकि यह राज्य के प्रसिद्ध काली मंदिर के निकट स्थित है।
माना जाता है कि यह मंदिर श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं को पूरा करता है, इसलिए यहां बड़ी संख्या मेंदर्शनाभिलाषियों का आगमन होता है। नवरात्रि और दिवाली के दौरान यहां भव्य पुजा और मेले का आयोजन किया जाता है।
गोविंदगढ़ महल

रीवा के ऐतिहासिक स्थलों में आप प्रसिद्ध गोविंदगढ़ महल देख सकते हैं। इस महल की भौगोलिक स्थित काफी खास है, क्योंकि आप यहां महल के साथ-साथ अन्य प्राकृतिक आकर्षणों(नदी, झरना, जंगल) को भी देख सकते हैं। अतीत से जुड़े साक्ष्य बताते हैं कि इस महल का निर्माण 1881 में तत्कालीन राजा द्वारा किया गया था। महल के अलावा आप यहां गोविंदगढ़ झील भी देख सकते हैं, जिसके तट पर यह पूरा महल खड़ा है।
यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कृत्रिम द्वीप भी बनाए गए हैं। माना जाता है कि भारत का सबसे पहला सफेद बाघ यहीं के जंगलों में पाया गया था। महल की वास्तुकला देखने लायक है। आप यहां इन-हाउस संग्रहालय भी देक सकते हैं।

रीवा का किला
गोविंदगढ़ महल के अलावा आप यहां प्रसिद्ध रीवा का किला देख सकते हैं। इस किले का नाम शहर के नाम पर रखा गया था। माना जाता है कि इस किले का निर्माण सलीम शाह ने करवाया था जिसने इसे अपूर्ण ही छोड़ दिया था, बाद में रीवा के महाराजा ने इस किले को पूरा बनाने का कार्य करवाया। रीवा फोर्ट राज्य में बेहतरीन किलों में गिना जाता है, और यह राज्य की सांस्कृतिक परंपराओं का एक गर्व प्रतीक भी है।
अपनी भव्यता और प्राचीन महत्व के कारण यह अब एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन चुका है। इतिहास और संस्कृति का एक अनोखा मिश्रण है यह किया जहां का भ्रमण एक आदर्श विकल्प रहेगा।
पुरवा जलप्रपात

ऐतिहासिक किलों के अलावा आप यहां के खूबसूरत जलप्रपातों की सैर का आनंद ले सकते हैं। राज्य में 70 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सबसे खूबसूरत झरनों में गिना जाता है पुरवा जलप्रपात। इस झरने का जल स्रोत टोंस नदी है। ऊंची चट्टानों के साथ गिरता पानी दूर से रोमांचक एहसास दिलाता है।
पुरवा जलप्रपात का महत्व सिर्फ वर्तमान तक ही सीमितन नहीं है बल्कि इसका उल्लेख हिन्दू महाकाव्य रामायण में भी मिलता है। इसके अलावा यह एक फैमली पिकनिक स्पार्ट भी है।
क्योंटी जलप्रपात

उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां के प्रसिद्ध क्योंटी जलप्रपात की सैर का भी प्लान बना सकते हैं। क्योंटी फॉल को भारत के सबसे ऊंचे झरनों(नंबर 24 ) की सूची में शामिल किया गया है। इस जलप्रपात का जल स्रोत्र तम्सा की सहायक महाना नदी जो इस झरने की मदद से 98 मीटर की ऊंचाई से गिरती है। इस जल का इस्तेमाल पेयजल और सिंचाई के लिए भी किया जाता है। माना जाता है कि यह झरना भगवान राम-सीता से भी जुड़ा है, इसलिए यहां कई लोग पूजा अनुष्ठान भी करते हैं।

Thursday, January 3, 2019

घिनौची धाम पियावन रीवा

घिनौची धाम पियावन: जहां झरना करता है शिव का जलाभिषेक


 रीवा। घिनौची धाम, जिसे पियावन के नाम से जाना जाता है। यह अतुलनीय ऐतिहासिक, प्राकृतिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल मध्य प्रदेश के रीवा जिले से 42 किलोमीटर दूर सिरमौर की बरदहा घाटी में है। प्रकृति की अनुपम छटा के बीच यह धाम धरती से 200 फीट नीचे और लगभग 800 फीट चौड़ी प्रकृति की सुरम्य वादियों से घिरा हुआ है। यहां प्राकृतिक झरने का श्वेत जल भगवान भोलेनाथ का 12 महीने निरंतर जलाभिषेक करता है। जिसे देखना रोमांचकारी है।
यहां की खास बात जो इसे विशेष बनाती है वो है धरती से 200 फीट नीचे दो अद्भुत जल प्रपातों का संगम। जिसका आनंद जुलाई से सितंबर माह के मध्य लिया जा सकता है। साथ ही अति प्राचीन शिवलिंग और यहां पहाडिय़ों में उकेरे प्राचीन शैल चित्र भी हैं।  चट्टानों में उकेरे गए प्रागैतिहासिक शैल चित्र, जो इस क्षेत्र की गौरव गाथा भी बताते हैं। दो अद्भुत सर्पिलाकार चट्टानें अपने आप में अद्भुत हैं। इसके आलावा मां पार्वती की साक्षात दिव्य प्रतिमा भी मौजूद है।

ब्रिटिश काल में हुई थी खोज

पावन घिनौची धाम की खोज का श्रेय जाता है सर गैरिक को। जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पहले डायरेक्टर जनरल अलेक्जेंडर कोनिन्घ्म के सहायक थे।  कहानी थोड़ा रोचक है। सन 1883-84 में अलेक्जेंडर कोनिन्घ्म रीवा आए तो उन्होंने पावन घिनौची धाम का भी सर्वेक्षण किया। उन्होंने अपनी किताब रिपोर्ट ऑफ ए टूर इन बुंदेलखंड एण्ड रीवा इन 1883-84 एण्ड ए टूर इन रीवा, बुंदेलखंड, मालवा, ग्वालियर इन 1884-85Ó में पावन घिनौची धाम का उल्लेख दो पेजों में किया है। साथ ही उन्होंने ही पावन घिनौची धाम का नामकरण पियावनÓ किया था। वो लिखते हैं कि पियावन जो एक पवित्र स्थल है। छोटी सी घाटी में है। कैठुला से 6 मील की दूरी पर दक्षिण-पूर्व की तरफ  एवं रीवा से 25 मील उत्तर-पूर्व की तरफ  स्थित है
पियावन का बघेली भाषा में शाब्दिक अर्थ होता है, पानी पीने का स्थान।  करीब एक मील की लम्बाई,  800 फीट की चौड़ाई एवं 200 फीट की उंचाई एवं दोनों तरफ  प्राचीन चट्टानों से घिरा हुआ है।

अध्र्य का व्यास 14 इंच, लिखे थे अभिलेख
अलेक्जेंडर कोनिन्घ्म आगे लिखते हैं कि अध्र्य के ऊपर 6 लाइनों में कुछ अभिलेख लिखे हुए थे। जो कि मौसम के कारण बुरी तरह से खुदे हुए अक्षर के रूप में प्रतीत हो रहे थे। गैरिक ने इस अभिलेख का एक बड़ा फोटोग्राफ  बनाया। यह अभिलेख बहुत कीमती एवं अतुलनीय था क्योंकि यह कल्चुरी राजकुमार गांगेय देव का एक मात्र अभिलेख था।जो महमूद गजनवी के समकालीन थे। यह अभिलेख इसलिए भी महत्वपूर्ण रूप से बहुत कीमती था क्योंकि यह चेदि वंश के कल्चुरी राजाओं का अधिराज्य भी प्रदर्शित करता था। जिनका राज्य विन्ध्य पर्वत श्रंखलाओं के उत्तर तक इलाहाबाद से सिर्फ 50 मील की दूरी तक था।

अंग्रेजो के जाने के बाद  फिर  सर्वेश सोनी जी के जूनून और अथक प्रयासों के बाद आज घिनौची धाम पियाबन में पर्यटन के लिए अपना नयी पहचान बना रहा है जो रीवा का प्रथम विकसित मनोरंजन क्षेत्र बन गया है।

ऐसे पहुंचा जा सकता है यहां
रीवा रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद पुराने बस स्टैंड से जवा जाने के लिए बस मिलती है। जो सिरमौर होते हुए बरदहा घाटी पहुंचाती है। यहां से करीब एक किमी. पैदल चलने के बाद घिनौचीधाम पहुंचा जा सकता है। यह स्थान पहाड़ों पर आच्छादित हरियाली के बीच पर्यटन का रोमांच पैदा करता है।

मलेशिया और गोवा से कम नहीं है विंध्य के पर्यटन स्थल


  अगर आप नए साल की छुट्टियों पर जाने का मन बना रहे हैं तो अब आपको कहीं जानें की जरूरत नहीं है। क्योकि विंध्य के पर्यटन क्षेत्र किसी गोवा और मलेशिया के पर्यटन क्षेत्र से कम नहीं। बस आपको अपने विंध्य पर्यटन क्षेत्र के बारे में पूरी जानकारी हो।  विंध्य के पर्यटन क्षेत्रों की विस्तृत जानकारी दे रहा आप इस साल न्यू ईयर को एंजॉय कर सकते हैं।

मैहर धाम में मां शारदा मंदिरrewa news
सतना से 45 किलोमीटर की दूरी पर त्रिकूट पर्वत में विराजमान हैं मां शारदा देवी। जहां मां शारदा समूचे देश में अतुलनीय हैं, यहां हजारों भक्त रोजाना दर्शन के लिए आते हैं । कहा जाता है की मां शारदा के अनन्य भक्त आलहा भी यहां सर्वप्रथम रोजाना आज भी पूजा करने आते हैं। आलहा उदल अखाड़ा एवं जल प्रपात भी यहां के दर्शनीय स्थल है।

धामों का धाम चित्रकूट धाम
सतना से 85 किलोमीटर की दूरी पर है चित्रकूट धाम। यह धाम देश के प्रसिद्ध पर्यटन नगरों में से एक है। मां मंदाकिनी नदी पर स्थित रामघाट है, यहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सती अनुसूईया आश्रम, कामतानाथ मंदिर, भरत कूप, हनुमान धारा, गुप्त गोदावरी स्फटिक शिला, जानकीकुंड प्रमुख हैं।

माधवगढ फोर्ट
सतना के माधव गढ़ में स्थित ऐतिहासिक फोर्ट जिसकी सुन्दरता टमस नदी के किनारे देखते ही मिलती है यहां का ऐतिहासिक प्राकृतिक सौन्दर्य अपने आप में ही अद्भुत हो जो की पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है 

व्हाइट टाइगर सफारी
व्हाइट टाइगर सफारी के रूप में विकसित मुकुंदपुर वन्य प्राणी चिडिय़ाघर सफेद शेरों की धरती के रूप में अनूठी पहचान रखनी वाली विंध्य वसुंधरा में अब सफेद शेरों का आगमन शुरू हो चुका है। अब यहां का आनंद भी पर्यटक उठा सकेंगे। सफेद शेरों के अतिरिक्त यहां 63 प्रकार के अन्य जानवर भी देश के कोने कोने से आएंगे।

ईको टूरिज्म पार्क
रीवा की जीवनदायिनी बीहर एवं बिछिया नदी के टापू में बन कर तैयार हो रहा है विश्व स्तरीय ईकोटूरिज्म पार्क इस पार्क में पर्यटकों को विश्व स्तरीय मनोरंजन, पर्यटन सुविधायें मुहैया करायी जायेंगी । वाटर स्पोट्र्स, एडवेंचर स्पोर्ट, रेस्टोरेंट, मनोरंजन पार्क जैसी सुविधायें मिल सकेंगी तो बीहर नदी के ऊपर बन कर तैयार हो चुका है एयर सस्पेंशन ब्रिज, जिसके ऊपर से गुजरते हुए यहां आने वाले पर्यटक दो नदियों के विहंगम प्राकर्तिक सौंदर्य का आनंद ले सकेंगे।

रीवा फोर्ट, म्यूजियमrewa news
रीवा राजघराने का ऐतिहासिक फोर्ट देशी विदेशी पर्यटकों की सबसे प्रथम पसंद है, का गौरवमयी इतिहास है तो प्रसिद्ध बाघेला म्यूजियम भी हैं।  रीवा राजघराने में विदेशी देशों के झूमर भी यहां की सुन्दरता में चार चांद के सामान हैं। साथ ही रीवा से 35 किलोमीटर की दूरी पर महाना नदी एवं फॉल के तट पर स्थित है 13 वीं शताब्दी का ऐतिहासिक क्योटी फोर्ट, रीवा से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है त्योंथर फो र्ट एवं नईगढ़ी फोर्ट।

जलप्रपातों व घाटियों की मनमोहक श्रंखलाrewa news
रीवा जलप्रपातों की नगरी है, जलप्रपातों से ही यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य विश्व प्रसिद्ध है रीवा में ही मध्यप्रदेश का सबसे ऊंचा चचाई जलप्रपात है तो क्योटी, पुरवा, बहुती घिनौची धाम का सौंदर्य अपने आप में ही अद्भुत है। रीवा से चचाई की दूरी 50 किलोमीटर, क्योटी की 35 किलोमीटर, पुरवा की दूरी 35 किलोमीटर, बहुती की दूरी 70 किलोमीटर, घिनौची धाम की दूरी 40 किलोमीटर है। रीवा की घाटियों की सुन्दरता अपने आप में ही अनूठी है जिनमे बरदाहा घाटीए सोहागी घाटीए छुहिया घाटी का विहंगम प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है।

बसामन मामा
प्रदेश के प्रथम गौ अभयारण्य के रूप में प्रस्तावित है रीवा की आस्था का प्रमुख केंद्र बसामन मामा।  यहां आने से भक्तों, पर्यटकों को असीम आनंद, शांति की अनुभूति होती है तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। बसामन मामा धाम रीवा से 35 किलोमीटर की दूरी है 

देउर कोठार के प्राचीन बौद्ध स्तूप
विश्व शान्ति एवं सद्भाव का सन्देश देता है बौद्ध धर्म, रीवा से 60 किलोमीटर की दूरी पर देउर कोठार में पांच हजार वर्ष प्राचीन बौद्ध स्तूपों की सबसे बड़ी श्रंखला है। यहां शैल चित्रों एवं गुफाओं की भी श्रंखला है।

ऐताहासिक गुफाए हैं खास
रीवा से 120 किलोमीटर की दूरी पर सीधी के प्रसिद्ध पर्यटन केन्द्रों में माढा की ऐतिहासिक गुफाएं, संजय गांधी नेशनल पार्क, चंद्रेह के प्राचीन मंदिर, भंवरसेन प्रमुख हैं।

बांधवगढ़ नेशनल पार्क
उमरिया क्षेत्र में स्थित बांधवगढ़ के शेरों की दहाड़ विश्व में प्रसिद्ध हैं दुनिया भर के प्राकृतिक पर्यटन प्रेमी व वन्य प्राणी प्रेमी यहां आते हैं। बाघों एवं शेरों के मध्य सफारी का आनंद व प्राकृतिक का विहंगम सौंदर्य पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है।

विन्ध्य वसुंधरा में है विश्व पर्यटक केंद्र अमरकंटक
रीवा से 300 किलोमीटर की दूरी पर है अमरकंटक और अमरकंटक में है मां नर्मदा नदी का उद्गम स्थल, महानद सोन उद्गम स्थल, प्राचीन स्मारक मंदिरों के समूह,  कपिल धारा व दूधधारा जलप्रपात, जैन मंदिर, माई की बगिया धूमने लायक है।

विंध्य में कई ऐसे पर्यटन क्षेत्र है जो एतिहासिक और प्राकृतिक है। यहां पर विन्ध्य के लोगों को जरूर समय बिताना चाहिए।
पंकज द्विवेदी संचालक व्लॉग ,vindhya pradesh the land of white tiger 

रीवा_एयरपोर्ट के निर्माण से विन्ध्य के विकास को मिलेगा नया आयाम

👉#रीवा_एयरपोर्ट के निर्माण से विन्ध्य के विकास को मिलेगा नया आयाम 👉प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi बनारस से वर्चुअली करेंगे रीवा एयरपोर्ट ...