Tuesday, October 9, 2018

पावन तीर्थ चित्रकूट संपूर्ण विवरण

Chitrakoot Dham – A Visit to Divine Place   




    | श्री गणेशाय नम: |
               श्री गणेशाय नमः
Welcome once again ! We are here to provide you the rest part of the holy city, Chitrakoot Dham. Without extending any unnecessary things, lets begin…
1. सती अनुसुइया आश्रम (Sati Anusuiya Ashram) –
यह आश्रम राम घाट से लगभग 18 कि0मी0 दूर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है. महर्षि अत्री जी की परमसती, तपस्विनी एवं पति परायण पत्नी अनुसुइया देवी के सतीत्व के प्रताप से यहीं से मन्दाकिनी गंगा का उद्गम हुआ है। सती अनुसुइया ने अपनी सतीत्व की परीक्षा में आये हुये त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शंकर को बालक के रूप में परिवर्तित किया था, जिससे उनकी सतीत्व की प्रशंसा त्रैलोक्य ने की थी और सब उनके चरणों में सिर झुकाये थे। यही कारण है कि यह स्थान सती अनुसुइया जी के नाम से प्रसिद्ध है। इस आश्रम में अत्रि मुनी, अनुसुइया, दत्तात्रेय और दुर्वाशा मुनी की प्रतिमा स्थापित हैं।
Sati Anusuiya is the wife of the Sage Atri Muni. She is said to be the most chaste among women and is one of the many daughters of Daksha. It was Maa Sati Anusuiya who explained Sita the importance of Satitva (devotion) and blessed Sita for having courage for the exile and also gave her a sari, which would never fade or get dirty and an ointment that made her stay beautiful for years! 
ऋषियों -मुनियों की सुविधा तथा वन्य पशुओं की प्यार बुझाने हेतु यहाँ एक जलस्रोत की आवश्यकता थी और उस आवश्यकता को सती अनुसुइया जी ने अपनी कठिन साधना से पूरा किया। गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं –
नदी पुनीत पुरान बखानी। अत्रि प्रिया निज तपबल आनी।
सुरसरि धार नाम मंदाकिनि। जो सब पातक पोतक डाकिनि।
It was Atri Muni who guided Lord Ram towards the Dandkaranya Forest, the biggest forest in ancient India.
 Note : Dandak Forest refers to the abode of the demon Dandak as mentioned in the Ramayana and today includes parts of Chhattisgarh, Odisha, Telangana, and Andhra Pradesh states having range about more than 300 Km.)
2. सरभंग मुनि आश्रम (Sharbhang Muni Ashram) –
चित्रकूट धाम से लगभग 30 कि. मी. दूरी पर स्थित एक परमहंस मुनि शरभंग जी का आश्रम है ! यहां रहकर शरभंग जी अपनी आयु पूरी करने के बाद भगवान् राम के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। राम के आने के एक दिन पूर्व ब्रह्मा जी का आदेश मिलने पर देवराज इन्द्र विमान लेकर शरभंग मुनि को ब्रह्मलोक ले जाने के लिए आये थे लेकिन शरभंग मुनि ने इन्द्र के साथ ब्रह्मलोक जाने से इनकार करते हुए उन्हें वापस भेज दिया और राम से मिलने की प्रतीक्षा करने लगे। 
शरभंग  ऋषि ने इंद्र का रथ रिक्त ही लौटा दिया !
सियाराम के आतिथ्य को सुर पुर गमन ठुकरा दिया !!
Sharbhanga Ashram is situated right in the middle of the forested area. This place has been home to many who come here for meditation and achieve salvation. Once Sage Sharbhang meet Lord Ram and asked to free him and keep looking at their eyes, then the sage sharbhang used his divine powers to became a flame and returned back to Brahmalok and so achieved salvation.
भगवान् राम लक्ष्मण और सीता के साथ शरभंग मुनि के आश्रम पधारे और शरभंग मुनि ने उनकी स्तुति करने के बाद राम को आदेश दिया कि वह तब तक खड़े रहे और मुस्कुराते रहें जब तक वह योगबल से अग्नि प्रगट कर खुद को उसमें पूरी तरह भस्म ना हो जाएँ। राम जी ने ऐसा ही किया और जैसे ही शरभंग मुनि ने अपने शरीर को योगाग्नि में भस्म किया सारे साधू संतों ने देखा कि शरभंग मुनि की जगह चतुर्भुज रूप में स्वंम विष्णु भगवान् प्रगट हो गए। शरभंग मुनि के आश्रम में उनकी चतुर्भुज रूप की दिव्य प्रतिमा आज भी विराजमान है।
Morever, Interesting visitable places near this ashram are the ancient ruins of a temple structure which has inscriptions which have still not been deciphered by historians and archaeologists. All they know is that the temple was demolished during the rein of Mughal Ruler – Aurangzeb. Also there is a Ganga Kund, Shiva Temple and 108 small Yagna Kunds which are still used for performing rituals.
3. हनुमान धारा (Hanuman Stream) –
यह स्थान रामघाट से लगभग 5 कि.मी. दूरी पर विन्ध्याचल की श्रेणी में स्थित है। यहाँ एक हनुमान जी की दिव्य प्रतिमा स्थापित है और एक पवित्र एवं ठंडी जल धारा पर्वत से निकल कर हनुमान जी की मूरत (विशेषत: उनकी पूँछ को) को स्नान कराकर नीचे कुंड में चली जाती है |
लंका को जलाते समय अग्नि की लपटों से सन्तप्त श्री मारूति नन्दन समुद्र में कूद पड़े थे, फिर भी उनका दाह दूर नहीं हुआ था। राम राज्य होने के बाद भगवान राघवेन्द्र की सेवा में रहकर श्री हनुमंत लाल जी ने अपनी जलन की वेदना को शान्त करने के लिए भगवान श्रीराम से प्रार्थना की और भगवान राम ने उन्हें चित्रकूट में स्थित विन्ध्य गिरी पर निवास करने के लिए कहा, जहाँ पर पर्वत से निकली हुई जलधारा अनावरत आज भी श्री हनुमंत लाल जी के पावन देह को प्लावित करती है। अतः यह स्थान हनुमान धारा के नाम से प्रसिद्ध है।
To reach the top of this Hanuman Dhara Hill, one has to climb around 600 stairs (around 360 steps).  The stream of water continuously falls on Hanuman’s tail and the water flows to a small pit that is based downwards. Interestingly this is also the only place in the entire region where Langurs were found instead of the usual red-faced monkeys ! This place offered lovely views of the surrounding hills and green valleys. There is Narsingh dhara, panchmukhi hanuman mandir, under Hanuman Dhara.
We are providing here the images of Hill stairs, Panchmukhi Hanuman and dripping water of Hanuman Dhara.
4. सीता रसोई (Godess Sita’s Kitchen) –
यह स्थान हनुमान धारा के ऊपर स्थित है। इसका पुराना नाम जमदग्नि तीर्थ है। भगवान राम एवं लखनलाल जी के लिए माँ जानकी जी ने इस स्थान पर फलाहार तैयार किया था, अतः इस स्थान को सीता रसोई के नाम से जाना जाता है।
100 steps more up from Hanuman Dhara Hill is a place called Sitarasoi (Sita’s kitchen) where Godess Sita would cook simple  food – roots and fruits for Lord.
5. गुप्त गोदावरी (Gupt Godavari) –
चित्रकूट से 18 किमी. की दूरी पर गुप्त गोदावरी स्थित है। यहां दो गुफाएं हैं जिनमे एक गुफा चौड़ी और ऊंची है, जिसके अंत में एक छोटा तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है। दूसरी गुफा लंबी और संकरी है जिससे हमेशा पानी बहता रहता है। 
 इन दोनों गुफाओं में से दो जल-धाराएं फूटती हैं जिनमे से ऊपर की गुफा का जल एक कुंड में गिरता है उसे सीता कुंड कहते हैं। दूसरी गुफा कुछ नीचे है, इस गुफा में एक जलधारा प्रवाहित होती है। गुफा संकरी होती हुई बंद हो जाती है। जहां गुफा बंद होती है वहीं से पानी आता है और कुछ दूर बहने के बाद वह जलधारा एक पीपल के वृक्ष के पास पहुंचकर गुप्त हो जाती है और फिर त्रम्बकेश्वर (नासिक) में  निकलती है , इसलिए इसे गुप्तगोदावरी के नाम से पुकारा जाता है।
 It is located at a distance of 8 kms from Sati Anusuiya Ashram and has two caves dating back over 950,000 years back. While walking inside the cave, you are walking in water which keeps increasing and literally reaches your back. At the end of the caves, there is a throne like rock, where Ram and Lakshman might have lived or performed some kind of holy rites.
It is said that in order to have a glimpse of Lord Ram, the Godavari river came here secretly from Trimbakeshwar, Nasik . It is said that this place was visited by Ram, Sita and Lakshman. After emerging from the cave the Gupt or Hidden Godavari, flows into a pond and then vanishes, presumably in the ground. The legendary source of this important river is in the temple of Trimbakeshwar Jyotirling in the western state of  Maharashtra.
Marpha – 
4 Km from Gupt Godavari is Marpha, famous for its natural beauty alongwith waterfalls, Jal Mochan Sarovar, Shri Balaji mandir, 5 faced statue of Lord Shankar and ruins of a fort, believed to be built by Chandel Rajas.
6. शबरी झरना और धारकुंडी (Sabari Fall & Dhar Kundi) –
Shabari Fall is located around 8 kms from a village called Markundi and is situated near Jamunihai village. This is believed to be the origin of the River Payaswini and has a beautiful waterfall with a huge reservoir known as Mandakini Kund.
Shabari Falls were a recent discovery by the District Magistrate of Chitrakoot, Mr. Jagannath Singh who happened to see it on one of his tours on July 31,1998. Not many know about this place except the nearby villagers and it is indeed a must visit.
Dharkundi- It is the another place of historical significance and is located 50 kms from Chitrakoot. It has natural sulphur springs that cure many illness and skin diseases.
This is situated in the middle of a forest and located on top of a hill the place offers a scenic view and soulful environment. The place has a Paramahansa Ashram, where devotees can stay and learn the art of meditation. Food offered is pure satvic (no nonveg at all) and interestingly whatever the sages and gurus eat are procured directly form the forest vegetation and the ones they inside the premises of the ashram land. 
7. भरतकूप (Bharatkoop) –
यह चित्रकूट से 20 कि.मी. दूर स्थित है ! भगवान राम के राज्याभिषेक के लिए भरत ने भारत की सभी नदियों से जल एकत्रित कर यहां रखा था। अत्री मुनि के परामर्श पर भरत ने जल एक कूप में रख दिया था। इसी कूप को भरत कूप के नाम से जाना जाता है। भगवान राम को समर्पित यहां एक मंदिर भी है।
मान्यता है कि भरत कूप में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते है और सारे तीर्थो में स्नान करने का पुण्य मिलता है लेकिन उसी को मिलता है जो वाकई सच्चे मन से श्रीराम कृपा पाना चाहता है !
Lord Ram’s brother Bharat brought water from all the holy places to appoint Lord Ram as the King of Ayodhya. Bharat was unsuccessful in persuading Lord Ram to return to his kingdom and took his place as the king. When Lord Ram did not agree, Bharat then, as per instructions of Maharishi Atri, poured the holy water in this well, popularly known as Bharat Koop. Having bath from the water of well means bathing in all teerthas. 

8. गणेश बाग (Ganesh Bagh) –
चित्रकूट धाम कर्वी से लगभग 3 कि. मी. दूर दक्षिण की ओर गणेशबाग स्थित है। यह स्थान वाजीराव पेशवा के शासन काल निर्मित हुआ था, और उन्हीं के पारिवारिक लोगों के मनोरंजन का साधन रहा। इसके स्थापत्य कला को अवलोकन करके यह मालुम पड़ता है कि पेशवा के काल में स्थापत्य कला अपनी चरम सीमा तक पहुँच चुकी थी।
इसमें खजुराहो शैली पर आधारित काम कला का विस्तृत चित्राकंन है। कुछ आकृतियाँ स्वतन्त्र मैथुन मुद्रा में हैं, तथा कुछ पुराणों एवं रामायण पर आधारित हैं। यहाँ काम, योग तथा भक्ति का अद्भुत सामंजस्य देखने को मिलता है।
Ganeshbagh is a richly carved temple, a seven storeyed baoli and ruins of a residential palace still exist. The complex was built by Peshwa Vinayak Rao as a summer retreat and is often referred to as a Mini-Khajuraho.
मन्दिर के ठीक सामने एक सरोबर है, जिसके ऊपर मन्दिर की ओर स्नान के लिए एक हौज है, जिसमें दो छिद्रों से पानी आता है ! मन्दिर के फानूस में लगे हुए लोहे के हुक आज भी कला-कृति एवं साज-सजावट  के प्रतीक हैं !
मन्दिर से थोडा हटकर पंचखंड की एक बावली है, जिसके अब तीन खण्ड भूमि-गत हैं। ग्रीष्म ऋतु में जलस्तर कम होने पर तीन खंडों के लिए रास्ता जाता है। इन खंडो के किनारे एक गहरा कुआं हैं जिसकी गहराई का कोई ठिकाना नही है ! कर्वी पेशवाकालीन राजमहल (वर्तमान कोतवाली) से गणेश बाग तक गुप्त रास्ता है, जो पेशवाओं के पारिवारिक सदस्यों के आने-जाने के लिए प्रयुक्त किया जाता था। 
Note – There were the Idols of Lord Shiva decorated with precious metals. These precious idols has been stolen and some of Shiv Lingas got broken. In the below picture of Ganesh Bagh, a little temple like structure can be seen in the middle. Inside this, a little idol of Lord Hanuman is present. 
9. तुलसीदास जी द्वारा लिखित हस्त-रामायण (Tulsi’s Handwritten epic – Ramayan) –
चित्रकूट जिले से लगभग 38 कि.मी. दूर ग्राम राजापुर स्थित है, यहीं गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म हुआ था. राजापुर में प्राचीन संग्रहालय और मूल हस्तलिखित रामायण भी मौजूद है उनके निवास स्थान को ही संग्रहालय बनाया गया है। उनके द्वारा अपने हाथों से लिखी गई रामायण अब भी ढेरों कपडे से सहेजकर रखी गई है। 
गोस्वामीजी ने हनुमानजी की प्रेरणा और भगवान शिव के आशीर्वाद से सम्वत 1631 चैत्र शुक्ल नवमी दिन मंगलवार को राम चरितमानस की रचना का श्रीगणेश किया और दो साल सात माह, 21 दिन में सम्वत 1633 वि. में राम विवाह वाली तिथि को यह ग्रंथ पूरा हो गया।
A chapter from Tulsidas’s handwritten edition of Ramcharitmanas is still available at Rajapur. You wil surprised to see it written on paper, instead of birch tree bark (bhojpatra) like other old manuscripts. The paper is old and preserved with a tissue covering. People used to come here and take blessings.

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