Friday, January 29, 2021

विन्ध्य नायक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी की स्मृति प्रसंग के अवसर पर आगामी 27 एवं 28 फरवरी 2021 को दो दिवसीय बघेली लोक रचना शिविर आयोजित होने जा रहा है।

 🌸*हार्दिक आमंत्रण*  🌸


रीवा 28 जनवरी। विन्ध्य नायक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी की स्मृति प्रसंग के अवसर पर आगामी 27 एवं 28 फरवरी 2021 को दो दिवसीय बघेली लोक रचना शिविर आयोजित होने जा रहा है। बघेली लोक रचना शिविर का पूरा मंच विन्ध्य की लोककला, संस्कृति एवं बघेली लोक साहित्य को समर्पित रहेगा। इस दो दिवसीय आयोजन में पुराने समाचार पत्र पत्रिकाओं के साथ बघेलखण्ड के लेखकों की प्रकाशित पुस्तकों की प्रदर्शनी, सम्मान समारोह, बघेली कवि सम्मेलन, बौद्धिक संगोष्ठी के साथ ही बघेली लोक कलाओं का प्रदर्शन एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के कार्यक्रम सम्पन्न होगें। 


 बघेलखण्ड सांस्कृतिक महोत्सव समिति के अध्यक्ष जगजीवनलाल तिवारी, कार्यक्रम संयोजक डा.मुकेश ऐंगल ने जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्यक्रम पिछले वर्ष 2020 में आयोजित किया जाना था परन्तु कोरोना काल के चलते कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा था अब उक्त कार्यक्रम 27 एवं 28 फरवरी को आयोजित होने जा रहा है। 27 फरवरी को दोपहर 12 बजे से पत्र पत्रिकाओं की प्रदर्शनी के साथ पद्मश्री बाबूलाल दाहिया सहित विन्ध्य के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान करने बाले 20 सख्शियतों को सम्मानित किया जायेगा। 





इसी क्रम में बघेली के जनकवि शम्भू काकू की कविताओं का संग्रह ‘‘बोले चला निरा लबरी’’ के साथ अन्य प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन अतिथियों द्वारा किया जायेगा। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में बघेली कवि सम्मेलन एवं तीसरे सत्र में सायंकाल 6 बजे से रात्रि 9 बजे तक बघेली लोककलाओं का प्रदर्शन होगा जिसमें बघेलखण्ड की अहिरहाई, कोलदहका, ढिमरहाई, वसुदेवा गीत, आल्हागीत के साथ इन्द्रवती नाट्य संस्था सीधी एवं मण्डप आर्ट रीवा के कलाकारों द्वारा बघेली लोक नाटकों की प्रस्तुती होगी। आयोजन के दूसरे दिन 28 फरवरी को दोपहर 12 बजे से बौद्धिक संगोष्ठी में ‘‘सूचना क्रांति में लोकभाषाओं की उपादेयता’’ पर चर्चा की जायेगी जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में पद्मश्री डा.कपिल तिवारी के साथ पद्मश्री बाबूलाल दाहिया, सोमदत्त त्रिपाठी, डा.विजेन्द्र वैद्य, डा.लहरी सिंह, पूणेन्द्र सिंह, डा.दिनेश कुशवाह, डा.विजय अग्रवाल एवं चन्द्रिका प्रसाद चन्द्र सामिल होगें। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में वाल कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियांे के साथ अर्चना पाण्डेय, सुषमा शुक्ला, मणिमाला सिंह, नेहा अग्रवाल, राजकुमार तिवारी की बघेली प्रस्तुतियां होगी। कार्यक्रम का समापन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन से होगा जिसमें देश के चर्चित कवि भाग लेगें। संस्था के अध्यक्ष श्री तिवारी ने नगरवासियों से कार्यक्रम में सामिल होकर सफल बनाने की अपील की है।



-पंडित पंकज द्विवेदी , संचालक ब्लॉग

VINDHYA PRADESH THE LAND OF WHITE TIGER

Wednesday, January 27, 2021

दुनिया भर में मिलेगी रीवा के सुपारी कला को पहचान (Supari Art Rewa)

 दुनिया भर में मिलेगी  रीवा के सुपारी कला को पहचान (Supari Art Rewa)



 सुपारी कलाकृति को रीवा में देखने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभिभूत हो गये। उन्होने घोषणा किया है कि इस कलाकृति को दुनिया भर में भेजा जायेगा। जिससे इस कला को देश-दुनिया के लोग जान सकें और कला को पूरा महत्वं मिले।


प्रस्तुत की गई थी झांकी

दरअसल गणतंत्र दिवस समारोह एसएएफ मैदान रीवा में आयोजित किया गया था। इस सामारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य अतिथी के रूप में शामिल हुये। इस दौरान निकाली गई विभिन्न झांकियों में सुपारी से बने भगवान गणेश की प्रतिमा शमिल रही। इस प्रतिमा को देखने के बाद मुख्यमंत्री ने इसे देश ही नही बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी भेजने की घोषणा किये है।


कुंदेर परिवार करता है तैयार

रीवा के फोर्ट रोड में रहने वाले कुंदेर परिवार के लोग सुपारी (Rewa Supadi Art) को कला कृति देते आ रहे है। जिसमें वे सुपारी की कटिग करके उसे सुन्दर बनाते है। इसमें से भगवान की प्रतिमा एंव खिलौने भी तैयार करते आ रहे है। बदलते बाजार बाद के चलते इस कला को सही स्वरूप नही मिल पा रहा। जिसके चलते कलाकारों में भी मायुसी है। मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद सुपारी कला एंव कलाकारों को उम्मीद की उड़ान नजर आने लगी है।






सुपारी के खिलौनों ने रीवा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाया है। यहां के कलाकारों की कलाकृतियों की दूसरे राज्यों में भी काफी मांग हैं। जिस तरह से रीवा में सुपारी के खिलौने बनाए जाते हैं वह दूसरे स्थानों में बहुत कम हैं। शहर के कुंदेर परिवार के कुछ लोगों के लिए यह चाहे भले ही जीवन यापन का एक जरिया हो लेकिन इससे रीवा की ख्याति भी जुड़ी है।


इन खिलौनों को गिफ्ट देने में इस्तेमाल किया जा रहा है। इनकी मांग इतनी अधिक है कि एक से अधिक की संख्या में जरूरत पड़ने पर एडवांस में आर्डर देना पड़ता है। शहर में आने वाले राजनेताओं और अन्य सेलीब्रिटी को भी यही भेंट किए जा रहे हैं। जिससे इनकी ब्रांडिंग भी हो रही है।


ऐसे हुई थी शुरुआत


इसकी शुरुआत रीवा राजघराने द्वारा सुपारी को पान के साथ इस्तेमाल करने के लिए अलग-अलग डिजाइन से कटवाने से शुरुआत की गई थी। उसी की डिजाइन बनाते-बनाते कलाकृतियां भी सामने आने लगीं। कुंदेर परिवार तीन पीढ़ियों से यह काम कर रहा है। इनका यह प्रमुख पेशा है। रीवा की पहचान सुपारी के खिलौने बन गए हैं।


इंदिरा गांधी कला से थीं प्रभावितः


1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रीवा आई थीं। उस दौरान उन्हें सुपारी के खिलौने भेंट किए गए थे। दिल्ली पहुंचने पर उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड आफ डायरेक्टर के पैनल में सुपारी के खिलौने बनाने वाले रामसिया कुंदेर को भी शामिल किया। कई बड़े कार्यक्रम में इंदिरा गांधी ने परिचय कराकर कलाकार का सम्मान भी बढ़ाया।


सिंदूर की डिब्बी से हुई थी शुरुआतः


शहर के फोर्ट रोड में सुपारी से मूर्तियां और खिलौने बनाने वाले दुर्गेश कुंदेर तीसरी पीढ़ी के कलाकार हैं। वह बताते हैं कि सबसे पहले 1942 में उनके दादा भगवानदीन कुंदेर ने सुपारी की सिंदूरदान बनाकर महाराजा गुलाब सिंह को गिफ्ट किया था। इसके पहले महाराजा के आदेश पर ही राज दरबार के लिए लच्छेदार सुपारी काटी जाती थी। महाराजा मार्तण्ड सिंह को छड़ी गिफ्ट की गई थी, जिस पर 51 रुपए का इनाम दिया गया था। समय के साथ बाजार की मांग के अनुसार खिलौने बनाए जाने लगे। इन दिनों शहर का ऐसा कोई भी बड़ा कार्यक्रम नहीं होता जिसमें सुपारी की गणेश प्रतिमा गिफ्ट नहीं की जाती हो। बाहर से आने वाले अतिथि को सुपारी के ही खिलौने दिए जाते हैं।


गणेश प्रतिमा सबसे अधिक लोकप्रियः



पहले सुपारी की स्टिक, मंदिर सेट, कंगारू सेट, टी-सेट, महिलाओं के गहने, लैंप आदि पर अधिक फोकस रहता था लेकिन इन दिनों गणेश प्रतिमा ही सबसे अधिक लोकप्रिय हो रही है। दुर्गेश कुंदेर का कहना है कि लक्ष्मी जी की मूर्ति लोग गिफ्ट करने के लिए नहीं बल्कि अपने घरों में रखने के लिए लेते हैं। गिफ्ट करने के लिए गणेश प्रतिमा ही सबसे अधिक खरीदी जा रही है।


--✍️ पंडित पंकज द्विवेदी,  संचालक ब्लॉग
Vindhya Pradesh The Land Of White Tiger 

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