हर साल बढ़ती है 'बजरंगबली' की ये मूर्ति, 'रामवन' के नाम से है प्रसिद्ध
( रामवन में स्थित है बजरंगबली की ये अद्भुत प्रतिमा।)सतना। जिले से करीब 14 किलोमीटर दूर रामपुर बाघेलन के रामवन में मौजूद ये मूर्ति पर्यटकों के लिए अति आकर्षण का केंद्र है। कहा जाता है कि ये शाश्वत है और हर साल इसकी ऊंचाई बढ़ जाती है। यही वजह है कि हजारों पर्यटक देखने आते हैं।
रामवन, नाम सुनते ही प्रतीत होता है कि यहां भगवान राम की प्रतिमा या दर्शनिय स्थल होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। इस स्थान पर बजरंगबली की विशाल प्रतिमा स्थापित है। रामवन में होने की वजह से इसे रामवन हनुमान कहा जाता है। हर साल पर्यटक बड़ी संख्या में इसे देखने के लिए यहां आते हैं।
बताया जाता है कि बनारस निवासी व्यापारी बाबू शारदाप्रसाद ने सतना व्यापार करने के लिए आए थे उन्होंने यहां एक गाडिय़ों की एजेंसी खोली। इसके बाद उन्होंने ही 64 एकड़ जमीन खरीद। और मूर्ति की स्थापना की। अब यहां तुलसी संग्रहालय ३२ एकड़ और रामवन 32 एकड़ में बसा है। यह प्रतिमा करीब 70 साल पुरानी बताई जाती है।
वैसे तो मूर्ति को लेकर कई तरह की धारणाएं हैं, लेकिन एक खास धारणा जिसकी वजह से ही लोग यहां दर्शनों के लिए आते हैं, वह ये है कि मूर्ति की ऊंचाई प्रतिवर्ष खुद-ब-खुद बढ़ जाती है। यही वजह है कि शहर के किसी भी कोने में खड़े होने पर यह बजरंगबली के दर्शन किए जा सकते हैं।
विद्वान अभयमुद्रा की इस मूर्ति की पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। कहा जाता है कि रामवन में स्थापित ये मूर्ति आशीर्वाद प्रदान करते हुए है, जो कि यहां आने वाले भक्तों का सदैव कल्याण करती है।
रामवन, नाम सुनते ही प्रतीत होता है कि यहां भगवान राम की प्रतिमा या दर्शनिय स्थल होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। इस स्थान पर बजरंगबली की विशाल प्रतिमा स्थापित है। रामवन में होने की वजह से इसे रामवन हनुमान कहा जाता है। हर साल पर्यटक बड़ी संख्या में इसे देखने के लिए यहां आते हैं।
बताया जाता है कि बनारस निवासी व्यापारी बाबू शारदाप्रसाद ने सतना व्यापार करने के लिए आए थे उन्होंने यहां एक गाडिय़ों की एजेंसी खोली। इसके बाद उन्होंने ही 64 एकड़ जमीन खरीद। और मूर्ति की स्थापना की। अब यहां तुलसी संग्रहालय ३२ एकड़ और रामवन 32 एकड़ में बसा है। यह प्रतिमा करीब 70 साल पुरानी बताई जाती है।
विद्वान अभयमुद्रा की इस मूर्ति की पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। कहा जाता है कि रामवन में स्थापित ये मूर्ति आशीर्वाद प्रदान करते हुए है, जो कि यहां आने वाले भक्तों का सदैव कल्याण करती है।
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