चित्रकूट
माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो में ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। इसी स्थान पर ऋषि अत्रि और सती अनसुइया ने ध्यान लगाया था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था।
चित्रकूट धाम मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसा भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में एक है। उत्तर प्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला शांत और सुन्दर चित्रकूट प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन है। चारों ओर से विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्यो की पहाड़ी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनार बने अनेक घाट और मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है।
प्रमुख आकर्षण
कामदगिरि
रामघाट
राम घाट वह घाट है जहाँ प्रभु राम नित्य स्नान किया करते थे l इसी घाट पर राम भारत मिलाप मंदिर है और इसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा भी है l मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट में अनेक धार्मिक क्रियाकलाप चलते रहते हैं। घाट में गेरूआ वस्त्र धारण किए साधु-सन्तों को भजन और कीर्तन करते देख बहुत अच्छा महसूस होता है। शाम को होने वाली यहां की आरती मन को काफी सुकून पहुंचाती है।
जानकी कुण्ड
रामघाट से 2 किलोमीटर की दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार जानकी कुण्ड स्थित है। जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी कहा जाता था। माना जाता है कि जानकी यहां स्नान करती थीं। जानकी कुण्ड के समीप ही राम जानकी रघुवीर मंदिरऔर संकट मोचन मंदिर है।
स्फटिक शिला
जानकी कुण्ड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार ही यह शिला स्थित है। माना जाता है कि इस शिला पर सीता के पैरों के निशान मुद्रित हैं। कहा जाता है कि जब वह इस शिला पर खड़ी थीं तो जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी। इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुन्दरता निहारते थे।
अनसुइया अत्रि आश्रम
स्फटिक शिला से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर घने वनों से घिरा यह एकान्त आश्रम स्थित है। इस आश्रम में अत्रि मुनी, अनुसुइया, दत्तात्रेयय और दुर्वासा मुनि की प्रतिमा स्थापित हैं।
गुप्त गोदावरी
नगर से 18 किलोमीटर की दूरी पर गुप्त गोदावरी स्थित हैं। यहां दो गुफाएं हैं। एक गुफा चौड़ी और ऊंची है। प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं घुसा जा सकता। गुफा के अंत में एक छोटा तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है। दूसरी गुफा लंबी और संकरी है जिससे हमेशा पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था।
हनुमान धारा
पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में हनुमान की एक विशाल मूर्ति है। मूर्ति के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है। कहा जाता है कि यह धारा श्रीराम ने लंका दहन से आए हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी। पहाड़ी के शिखर पर ही 'सीता रसोई' है। यहां से चित्रकूट का सुन्दर दृष्य देखा जा सकता है।
भरतकूप
कहा जाता है कि भगवान राम के राज्याभिषेक के लिए भरत ने भारत की सभी नदियों से जल एकत्रित कर यहां रखा था। अत्रि मुनि के परामर्श पर भरत ने जल एक कूप में रख दिया था। इसी कूप को भरत कूप के नाम से जाना जाता है। भगवान राम को समर्पित यहां एक मंदिर भी है।
आवागमन
- वायु मार्ग
चित्रकूट का नजदीकी विमानस्थल इलाहाबाद है। खजुराहो चित्रकूट से 185 किलोमीटर दूर है। चित्रकूट में भी हवाई पट्टी बनकर तैयार है लेकिन यहां से उड़ानें अभी शुरू नहीं हुई हैं। लखनऊ और इलाहाबाद हवाई अड्डों से भी चित्रकूट पहुंचा जा सकता है। इलाहाबाद और लखनऊ से बस और ट्रेनें लगातार उपलब्ध हैं।
- रेल मार्ग
चित्रकूट से 8 किलोमीटर की दूर कर्वी निकटतम रेलवे स्टेशन है। इलाहाबाद, जबलपुर,बांदा, दिल्ली, झांसी, हावड़ा, आगरा,मथुरा, लखनऊ, कानपुर,ग्वालियर,झांसी,रायपुर, कटनी, मुगलसराय,वाराणसी बांदा आदि शहरों से यहां के लिए रेलगाड़ियां चलती हैं। इसके अलावा शिवरामपुर रेलवे स्टेशन पर उतकर भी बसें और टू व्हीलर लिए जा सकते हैं। शिवरामपुर रेलवे स्टेशन की चित्रकूट से दूरी ४ किलोमीटर है।
- सड़क मार्ग
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