विंध्यवासियों को विंध्यप्रदेश राज्य वापस किया जाये
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आज के दिन ही 1 नवंबर 1956 को विंध्यप्रदेश राज्य का विलीनीकरण मध्यप्रदेश मे कर विंध्यवासियों के साथ कुठाराघात किया गया था । विंध्यभारती परिषद् के संयोजक हरिहर प्रसाद तिवारी ने कहा कि विंध्यप्रदेश विंध्य वासियों का है।
विंध्यप्रदेश राज्य की वापसी विंध्यवासियों का नैतिक अधिकार है । देश की आजादी के बाद लगभग 4 वर्षों तक विंध्य प्रदेश राज्य अस्तित्व में रहा ,और उस दौरान विंध्य के विकास की आधारशिला रखी गयी ,परंतु राजनैतिक षडयंत्रों के तहत अकारण विंध्य प्रदेश राज्य का विलय 1-11-1956 को मध्यप्रदेश राज्य में कर दिया गया । इस विलीनीकरण के दुष्परिणाम और अपमान का दंश विंध्य वासी लगभग 65वर्षों से झेल रहे हैं। विंध्य प्रदेश राज्य वापसी के लिए मार्च 2000 में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होकर केन्द्र सरकार को भेजा गया था , लेकिन उक्त प्रस्ताव को राजनैतिक द्वेश भावना के कारण संभवतः कूड़ेदान में फेंक दिया गया। जबकि छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, तेलंगाना जैसे राज्य पूर्णतः अस्तित्व में आ गये और विकास कार्यो को उंचाइयों तक पहुँचा रहे हैं।
हम विंध्यवासियों का विंध्य प्रदेश हमसे छीन लिया गया और हम दूसरे का मुंह निहारते उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। जबकि विंध्य क्षेत्रफल के दृष्टि से बृहद, राजस्व प्राप्ति के मामले में समृद्ध, प्राकृतिक संसाधनों और खनिज संसाधानो का विपुल भंडार है। पर्याप्त उद्योग धंधे है, शिक्षा के समुचित विस्तार के अवसर है। विंध्य के आय से मध्यप्रदेश के अन्य क्षेत्र में विकास कार्य हो रहे हैं, जबकि विंध्यांचल के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है, जिसके कारण विंध्य क्षेत्र विकास के मामले अपेक्षाकृत बहुत पीछे है।
आदरणीय हरिहर प्रसाद तिवारी जी
विंध्य भारती परिषद् के संयोजक हरिहर प्रसाद तिवारी ने कहा कि विंध्यप्रदेश का विलय मध्यप्रदेश मे करना विंध्यवासियों के साथ घोर अन्याय था,अब यह अन्याय विंध्य वासी और बर्दास्त नही करेंगे , विंध्यभारती परिषद् के संयोजक हरिहर तिवारी ने कहा कि विंध्यप्रदेश वापसी के लिये हस्ताक्षर अभियान विग वर्ष 2018 से चलाया जा रहा है, अब तक रीवा,सतना सीधी अनूपपुर, शहडोल जिले के लगभग एक लाख लोगों के हस्ताक्षर प्राप्त हो चुके हैं अभी यह जागरूकता अभियान निरंतर गति पर है ।हरिहर प्रसाद तिवारी ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि अब विंध्यांचल को मध्यप्रदेश से पृथक कर मार्च 2000 में पारित विधानसभा प्रस्ताव पर समुचित निर्णय ले तथा विंध्यप्रदेश राज्य विंध्यवासियों को वापस करें ।
विंध्य प्रदेश राज्य, विंध्यवासियों की सशक्त आवाज है। खास वजह है कि विंध्यप्रदेश राज्य के बिलीनीकरण के 65 साल हो गये आज भी सबसे अधिक गरीबी,भुखमरी और कुपोषण पूर्व विन्ध्य प्रदेश क्षेत्र में है।सबसे अधिक पलायन भी विन्ध्यांचल से ही है, विन्ध्य के अधिकांशं इलाके में सिंचाई और पीने के पानी का संकट है।मध्यप्रदेश में मध्य भारत, महाकौशल, भोपाल और तत्कालीन विन्ध्य प्रदेश का तुलनात्मक अध्ययन किया जाय तो सबसे अविकसित क्षेत्र विन्ध्य प्रदेश ही है।यह मांग राजनीतिक नहीं है।इस क्षेत्र का विकास बिना राज्य बने संभव ही नहीं है।