सफेद बाघ को फिर से विंध्य के जंगलों में बसाया जाएगा--
रीवा ,
अभी तक पर्यटकों और वन्य जीव प्रेमियों के लिए सफेद बाघ एक पहेली की तरह रहा है ,साथ ही वह आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र हुआ करता था यदि सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में सफेद बाघ विंध्य के जंगल में विचरण करते मिलेंगे। वर्ष 2012 से इस संबंध में पहल की जा रही थी लेकिन पहली बार सफेद बाघ को खुले जंगल में छोड़ने के लिए विशेषज्ञ ने सरकार को हरी झंडी दे दी गयी है ।
आठ साल पहले प्रदेश सरकार द्वारा नेशनल कंजर्वेशन ऑथॉरिटी ऑफ़ इंडिया से सफ़ेद बाघो को जंगल में बसाये जाने को लेकर पत्र लिखा था उस समय N.T.C.A. ने इस प्रस्ताव को नकार दिया था । लेकिन उसके बाद से सफ़ेद बाघो पर लगातार शोध किये गए और अब एक माह पूर्व भारतीय वन्यजीव संस्थान ने एनटीसीए की रिपोर्ट के बाद सरकर को पत्र लिखकर सफ़ेद बाघ को जंगल में खुला छोड़े जाने पर सहमति दे दी है । इस संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन (वन बल प्रमुख) को पत्र लिखकर इस दिशा में संभावना तलाशे जाने को कहा है ।
चूँकि विंध्य की धरती सफेद बाघ की जन्मभूमि रही है । इसलिए स्वाभाविक रूप से यहाँ का दावा सबसे पहले बनता है। उम्मीद है सरकार यही के जंगल में सफ़ेद बाघ को बसाने की योजना बनायेगी।
रॉयल बंगाल टाइगर से अलग --
अभी तक विशेषज्ञ यह मानते रहे की सफ़ेद बाघ रॉयल बंगाल टाइगर (पीले बाघ) से अलग नहीं है बस यह जीन से संक्रमण के कारण सफ़ेद रंग के हो गए हाल ही में सामने आयी रिपोर्ट में लंबे शोध के बाद यह माना गया कि बास्तविक रूप से सफेद बाघ अन्य बाघो से अलग प्रजाति के है। यह बात अलग है कि इन्हें फिलहाल जंगल में खुला इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता है कि यह अभी केवल चिड़ियाघरों और सफारी में ही है। जंगल में खुला छोड़ने के लिए लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया को अपनाना पड़ेगा । तब कही जाकर यह खुले जंगल में रह पाएंगे।
प्रदेश में अभी सिर्फ नौ सफेद बाघ है ---
मध्य प्रदेश में अभी चिड़ियाघरों में कुल 9 सफ़ेद बाघ मौजूद है ।इनमें विंध्य के महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव चिड़ियाघर एवं व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में एवं इंदौर के चिड़ियाघर में सफेद बाघ मौजूद है । खुले जंगल में अभी एक भी बाघ नहीं है । देश और दुनिया में जितने सफ़ेद बाघ है। वह सभी चिड़ियाघर में ही है । विश्व में पहली बार व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में एक निर्धारित क्षेत्र में उन्हें खुला छोड़ा गया है। मुकुंदपुर जू में लाईनेस बच्चो को जन्म भी दिया लेकिन सफेद बाघ का कुनबा अभी बढ़ना शेष है। सफारी प्रबंधन को उम्मीद है कि आने वाले समय में यहाँ सफेद बाघ का प्रजनन हो सकेगा इस संबंध में भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञ ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भी रिपोर्ट दे दी है।
सभी सफेद बाघ मोहन के ही वंशज है ---
विंध्य क्षेत्र सफेद बाघ की जन्मभूमि है । सन 1952 में तत्कालीन रीवा राज्य के महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव को शिकार के दौरान जंगल में सफेद शेर (बाघ) का शावक मिला था जिसे पकड़कर गोविन्दगढ़ किले में परवरिश की गयी और उसका नाम मोहन रखा गया ।
मोहन से 34 बाघ पैदा हुए । आज देश और दुनिया में जहाँ भी सफ़ेद बाघ है वह मोहन के ही वंशज है जानकारी के मुताबिक देश में इस समय 114 सफ़ेद बाघ विभिन्न चिड़ियाघरों में मौजूद है।
शोध में यह भी कहा गया है कि जंगल में संघर्ष करके अपने आप को सर्बाइब करने में पूरी तरह सक्षम है वशर्ते इसके लिए एक कारगार बाघ प्रोजेक्ट की जमीन तैयार की जाये ।
✍️✍️✍️.. पंडित पंकज द्विवेदी संचालक ब्लॉग- vindhya pradesh the land of white tiger
रीवा ,
अभी तक पर्यटकों और वन्य जीव प्रेमियों के लिए सफेद बाघ एक पहेली की तरह रहा है ,साथ ही वह आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र हुआ करता था यदि सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में सफेद बाघ विंध्य के जंगल में विचरण करते मिलेंगे। वर्ष 2012 से इस संबंध में पहल की जा रही थी लेकिन पहली बार सफेद बाघ को खुले जंगल में छोड़ने के लिए विशेषज्ञ ने सरकार को हरी झंडी दे दी गयी है ।
आठ साल पहले प्रदेश सरकार द्वारा नेशनल कंजर्वेशन ऑथॉरिटी ऑफ़ इंडिया से सफ़ेद बाघो को जंगल में बसाये जाने को लेकर पत्र लिखा था उस समय N.T.C.A. ने इस प्रस्ताव को नकार दिया था । लेकिन उसके बाद से सफ़ेद बाघो पर लगातार शोध किये गए और अब एक माह पूर्व भारतीय वन्यजीव संस्थान ने एनटीसीए की रिपोर्ट के बाद सरकर को पत्र लिखकर सफ़ेद बाघ को जंगल में खुला छोड़े जाने पर सहमति दे दी है । इस संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन (वन बल प्रमुख) को पत्र लिखकर इस दिशा में संभावना तलाशे जाने को कहा है ।
चूँकि विंध्य की धरती सफेद बाघ की जन्मभूमि रही है । इसलिए स्वाभाविक रूप से यहाँ का दावा सबसे पहले बनता है। उम्मीद है सरकार यही के जंगल में सफ़ेद बाघ को बसाने की योजना बनायेगी।
रॉयल बंगाल टाइगर से अलग --
अभी तक विशेषज्ञ यह मानते रहे की सफ़ेद बाघ रॉयल बंगाल टाइगर (पीले बाघ) से अलग नहीं है बस यह जीन से संक्रमण के कारण सफ़ेद रंग के हो गए हाल ही में सामने आयी रिपोर्ट में लंबे शोध के बाद यह माना गया कि बास्तविक रूप से सफेद बाघ अन्य बाघो से अलग प्रजाति के है। यह बात अलग है कि इन्हें फिलहाल जंगल में खुला इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता है कि यह अभी केवल चिड़ियाघरों और सफारी में ही है। जंगल में खुला छोड़ने के लिए लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया को अपनाना पड़ेगा । तब कही जाकर यह खुले जंगल में रह पाएंगे।
प्रदेश में अभी सिर्फ नौ सफेद बाघ है ---
मध्य प्रदेश में अभी चिड़ियाघरों में कुल 9 सफ़ेद बाघ मौजूद है ।इनमें विंध्य के महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव चिड़ियाघर एवं व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में एवं इंदौर के चिड़ियाघर में सफेद बाघ मौजूद है । खुले जंगल में अभी एक भी बाघ नहीं है । देश और दुनिया में जितने सफ़ेद बाघ है। वह सभी चिड़ियाघर में ही है । विश्व में पहली बार व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में एक निर्धारित क्षेत्र में उन्हें खुला छोड़ा गया है। मुकुंदपुर जू में लाईनेस बच्चो को जन्म भी दिया लेकिन सफेद बाघ का कुनबा अभी बढ़ना शेष है। सफारी प्रबंधन को उम्मीद है कि आने वाले समय में यहाँ सफेद बाघ का प्रजनन हो सकेगा इस संबंध में भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञ ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भी रिपोर्ट दे दी है।
सभी सफेद बाघ मोहन के ही वंशज है ---
विंध्य क्षेत्र सफेद बाघ की जन्मभूमि है । सन 1952 में तत्कालीन रीवा राज्य के महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव को शिकार के दौरान जंगल में सफेद शेर (बाघ) का शावक मिला था जिसे पकड़कर गोविन्दगढ़ किले में परवरिश की गयी और उसका नाम मोहन रखा गया ।
मोहन से 34 बाघ पैदा हुए । आज देश और दुनिया में जहाँ भी सफ़ेद बाघ है वह मोहन के ही वंशज है जानकारी के मुताबिक देश में इस समय 114 सफ़ेद बाघ विभिन्न चिड़ियाघरों में मौजूद है।
शोध में यह भी कहा गया है कि जंगल में संघर्ष करके अपने आप को सर्बाइब करने में पूरी तरह सक्षम है वशर्ते इसके लिए एक कारगार बाघ प्रोजेक्ट की जमीन तैयार की जाये ।
✍️✍️✍️.. पंडित पंकज द्विवेदी संचालक ब्लॉग- vindhya pradesh the land of white tiger